एक नवगीत
अच्छे दिन
अच्छे दिन आनेवाले थे,
किन्तु नहीं आये।
एक नया सूरज लाने वालों की भीड़ जुटी
टटके जादूगर के हाथों अपनी बुद्धि लुटी
सूरज तो निकला, पर लाया
डरावने साये।
पहले ही विकलांग सूर्य था, उस पर ग्रहन लगा
कोने में दुबके अंधियारे का सौभाग्य जगा
राहु-केतु, दोनों मिलकर
नवग्रह पर हैं छाये।
वही एक ललछौंह रौशनी अपने हिस्से है
कंचन बरसाने वाला रवि उनके हिस्से है
नये-नये सूरज को शायद
हमीं नहीं भाये।
अच्छे दिन
अच्छे दिन आनेवाले थे,
किन्तु नहीं आये।
एक नया सूरज लाने वालों की भीड़ जुटी
टटके जादूगर के हाथों अपनी बुद्धि लुटी
सूरज तो निकला, पर लाया
डरावने साये।
पहले ही विकलांग सूर्य था, उस पर ग्रहन लगा
कोने में दुबके अंधियारे का सौभाग्य जगा
राहु-केतु, दोनों मिलकर
नवग्रह पर हैं छाये।
वही एक ललछौंह रौशनी अपने हिस्से है
कंचन बरसाने वाला रवि उनके हिस्से है
नये-नये सूरज को शायद
हमीं नहीं भाये।
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